परिभाषा
1. ब्रह्मांड क्या है ?
समय, पदार्थ, ऊर्जा, सौर मंडल सहित, सभी
सितारों,आकाशगंगाओं, और अंतरिक्ष की संपूर्ण
सामग्री के समूह को ब्रह्मांड माना जाता है।
ब्रह्मांड (universe) के अनंत विस्तार में पृथ्वी, सूर्य तथा अन्य ग्रह सूक्ष्म बिंदुओं के समान हैं। दस हज़ार करोड़ तारों से युक्त आकाश गंगा में सूर्य भी एक तारा है। इसी प्रकार की सैकड़ों करोड़ अन्य आकाश गंगाएँ (गैलेक्सी) हैं, जिनके अपने तारामंडल हैं और जो अत्यंत विस्तृत हैं। इन्हें हमारे आज के बड़े से बड़े और अत्यंत सूक्ष्म प्रकाशिक यंत्र तथा रेडियो टेलिस्कोपों द्वारा ही देखा जा सकता है।
जैसे-जैसे ब्रह्मांड का फैलाव होता जाता है सभी आकाश गंगाएं (galaxies) तथा आकाश गंगाओं के समूह एक-दूसरे से दूर हटते जाते हैं। उनके दूर हटने की गति उनकी आपसी दूरी पर निर्भर करती है।
अब तक खोजी गई सबसे दूर स्थित आकाशगंगा GN-z11 है। जो हमसे 1,323 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है तथा प्रकाश की 45 प्रतिशत की गति से नीचे आ रही है।
हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे ऑब्जेक्ट को ढूंढा है, जो आजतक खोजे गए ऑब्जेक्ट्स में सबसे दूर है। HD1 नाम का यह ऑब्जेक्ट एक Galaxy (आकाशगंगा) हो सकती है, जिसके पृथ्वी से 13.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर होने का अनुमान है। इसके अलावा अंतरिक्ष वैज्ञानिक उन समयों की भी गणना कर रहे हैं जब ब्रह्मांड का जन्म हुआ तथा जब यह समाप्त हो जाएगा।
1.1 ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी तीन सिद्धांत
ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया?
इस संबंध में अंतरिक्ष विज्ञानियों के तीन परस्पर विरोधी सिद्धांत हैं। प्रत्येक सिद्धांत की घोषणा करने से पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक ब्रह्मांड के परिलक्षित गुणों से तुलना करके ही इस संबंध में वे यह निर्णय लेते हैं कि कौन-सा सिद्धांत तथ्यों के अनुसार सर्वाधिक अनुकूल है। इन तीन सिद्धांतों में से सबसे सरल-विशाल विस्फोट (बिग बैंग) सिद्धांत इस समय सर्वाधिक लोकप्रिय है।
विशाल विस्फोट सिद्धांत (Big Bang Theory)
इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का जन्म लगभग 1800 करोड़ वर्ष पहले हुए विशाल विस्फोट के माध्यम से हुआ था। इस विस्फोट के कारण बिखरे तत्व ठंडे होकर गुच्छों के रूप में जम गए जिन्हें आकाश गंगा (गैलेक्सी) का नाम दिया गया। ये आकाश गंगाएँ अभी भी बाहर की तरफ फैल रही हैं। जैसे-जैसे आकाश गंगा पुरानी होती है इसका पदार्थ पतला होता जाता है। यह विस्तार निरंतर अनियत रूप से जारी है।
दोलायमान ब्रह्मांड सिद्धांत (Oscillating Universe Theory)
यह सिद्धांत विशाल विस्फोट सिद्धांत से अलग हटकर यह बताता है कि ब्रह्मांड का विस्तार- अंतत: धीमे होकर थम जाएगा तथा इसके बाद आकाश गंगाओं के सिकुड़ने से एक और विशाल विस्फोट होगा। अतः ब्रह्मांड विस्तार तथा सकुंचन के अनंत चक्रों से गुजर रहा है तथा प्रत्येक चक्र में प्रकृति के नियम अलग-अलग हो सकते हैं।
स्थिर दशा सिद्धांत (Steady State Theory)
विशाल विस्फोट सिद्धांत से अलग मत रखते हुए यह सिद्धांत बताता है कि ब्रह्मांड कभी किसी एक समय में पैदा नहीं हुआ तथा यह कभी समाप्त भी नहीं होगा। इस सिद्धांत के अनुसार जैसे-जैसे ब्रह्मांड का फैलाव होता है इससे पैदा हुए रिक्त स्थान को भरने के लिए नए पदार्थ पैदा हो जाते हैं। अतः ब्रह्मांड का आकार समय के साथ एक-सा बना रहता है।
आगे पढ़िये -
आकाशगंगा क्या है ?
तारे का जन्म कैसे होता है ?
सौरमंडल की संरचना क्या है?
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