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Introduction to Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था का परिचय)

 

Introduction to Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था का परिचय)

आज आप इस पृष्ठ के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले कई वर्षों में हुये बदलाओं को समझ पाएंगे। आगामी पोस्ट्स में अर्थव्यस्था से संबन्धित नोट्स समय समय पर उपलब्ध कराये जाते रहेंगे। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको एनसीईआरटी से संबन्धित डाटा उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। जो कि आगामी सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।



Introduction to Indian Economy

भारतीय अर्थव्यवस्था अंग्रेजी शासन के बाद अपनी विकास यात्रा की शुरुआत से लेकर आज तक बहुत सारे घटनाक्रमों से गुजर चुकी है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को देखेंगे जो भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं:-

के बाद की आर्थिक स्थिति में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए कई कदम उठाए। इस दौरान भारत का राष्ट्रीय आय बढ़ा और आयात तथा निर्यात का बजट भी बढ़ा।1.    विश्व युद्ध 2 के बाद की आर्थिक स्थिति (1947-1991): भारत की स्वतंत्रता के बाद, विश्व युद्ध 2

 

2.   एलपीजी की नीतियां (1991-2004): 1991 में भारत को एक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा जब उसके विदेशी मुद्रा भंडारों में आय की अकाउंट भारी घाटे से निकल रहा था। लेकिन इस संकट के दौरान, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण  की नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारा।

 

3.   अर्थव्यवस्था में नए तंत्रों का उदय (2010-वर्तमान): भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से बदलाव हो रहा है। आधुनिक तकनीक और इंटरनेट के उपयोग से लोगों के व्यवसाय करने के तरीके बदल रहे हैं।

 

4.   स्वच्छ भारत अभियान (2014-वर्तमान): स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश को स्वच्छता की दिशा में बढ़ावा देने के लिए उठाया गया था। यह अभियान न केवल स्वच्छता की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समूचे देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। स्वच्छता आधारित निर्माण योजनाओं से कई नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।

5.   डेमोनेटाइजेशन (2016): 2016 में भारत सरकार ने डेमोनेटाइजेशन की घोषणा की जिसके तहत 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे। यह कदम लेने का मुख्य उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था में काले धन को कम करना था। इसके बाद से भारत में नोटबंदी के बाद से अर्थव्यवस्था को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।

 

6.   जीएसटी का लागू होना (2017): 2017 में भारत ने जीएसटी को लागू किया जो उस समय भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इससे पहले भारत में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कर होते थे जो व्यापार को अधिक कठिन बनाते थे। जीएसटी के लागू होने से यह सब कर दूर हो गया और साथ ही भारत में व्यापार की प्रणाली में सुधार हुआ।

 

7.   कोरोना महामारी का प्रभाव (2020-2021): 2020 में कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था और भारत की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित नहीं रही। इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ने कई आर्थिक योजनाएं आयोजित की जिनसे लोगों को सहायता मिली। कोरोना महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में विस्तार की त्वरित गिरावट देखी गई। विशेषकर क्षेत्रों जैसे कि व्यापार, नौकरियां और निवेशों में भारी नुकसान हुआ।

Introduction to Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था का परिचय)

 

1991 से 2014 तक भारत में कई आर्थिक सुधार हुए जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बदल दिया। निम्नलिखित हैं कुछ मुख्य सुधार:

1.    आर्थिक संधि (1991): 1991 में भारत ने एक आर्थिक संधि की घोषणा की जिससे देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा गया। इस संधि में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, निजी सेक्टर को बढ़ावा देने, नियोजन को सुधारने और उत्पादन को बढ़ाने जैसे कई उपाय शामिल थे।

 

2.   स्वतंत्र वित्तीय निकासीकरण (1991): इस संबंध में भारत ने बड़ी बैंकों को निजीकृत करने और बाजार में उपलब्ध निवेश को बढ़ाने के लिए कई सुधार किए। इससे बैंकों को नई तकनीकों और प्रबंधन ढंग का अनुभव मिला।

 

3.   टेक्नोलॉजी का उपयोग: वित्तीय सेवाओं, विनिमय, प्रबंधन आदि में टेक्नोलॉजी के उपयोग से भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारा। इससे निर्यात उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ी और भारत ने अपनी वित्तीय सेवाओं को उन्नत बनाया।

 

4.   निजीकरण: भारत ने निजीकरण के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में सुधार किए। सेवा क्षेत्र में निजी सेक्टर के आगमन से विभिन्न सेवाओं की उपलब्धता बढ़ी, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन आदि। निजी सेक्टर में निवेश करने और व्यवसाय बनाने के लिए सरकार ने निजी निवेशकों के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान की हैं।

 

5.   बजट रखरखाव: सरकार ने बजट रखरखाव को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। इसमें सेवा शुल्क का संशोधन, टैक्स फ्री निवेश को बढ़ावा देना, करों में संशोधन करना, निवेश नीतियों में सुधार करना और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

 

6.   बैंकिंग और वित्तीय सुधार: भारत ने बैंकिंग और वित्तीय सुधारों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारा। सरकार ने बैंकों को आर्थिक संचालन के लिए और ऋण उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए, जैसे कि विदेशी निवेशों को बढ़ावा देना, बैंकों के उत्तरदायित्वों को तय करना और एकीकरण करना। सरकार ने वित्तीय संरचना में सुधार करने के लिए भी कई कदम उठाए, जैसे कि स्टॉक मार्केट के विकास, फीस और कमीशन की घटती सीमा तय करना, और समग्र वित्तीय संरचना को सुधारना।

 

7.   इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए कई पहलू सुधारे। सड़कों, सड़क परिवहन, रेलवे लाइनों, समुद्री जहाजों, हवाई अड्डों और उर्जा सेक्टर में अधिक निवेश किए गए हैं। सरकार ने इन क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

 

8.   मंडी निजीकरण: भारत ने कृषि व्यवसाय में सुधार करने के लिए मंडी निजीकरण की पहल की। सरकार ने नई मंडी व्यवस्था को समर्थन दिया, जिसमें किसानों को अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए उनके उत्पादों को बेचने के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध की गई हैं।

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